अतृप्त नारी

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अतृप्त नारी हूं
पर प्यार की प्यासी हूं
दूसरों की नजरों में
मैं तृप्त हूं
और अपनी नजरों में
अतृप्त हूं

जीवन के हर मोड़ पे
अहसास ये होता है
अब तुम्हारे साथ होते भी
नदी का पानी खारा लगता हैं

जीने की चाह है
पर जीवन का कुछ अहसास नहीं
रात ढलते हैं फिर
नया सवेरा होता है

फिर ये ज़िन्दगी के
सपनों में
अंधेरा क्यों
बार बार होता है
सब कुछ पाकर भी
अतृप्त नारी हूं

=>मंजु नायर 

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