वक़्त

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वक़्त ने सोचने का..
तरीका बदल दिया ,
जिंदगी को देखने का ..
नज़रिया बदल दिया।
बैंक-बैलेंस में कल को देखते थे जो,
उनका आज के लिए रवैया बदल दिया।
एक बार फिर साबित किया है ..
वक्त ने कि…बस वही है उस्ताद ।
सारी दुनिया को शागिर्दों में बदल दिया ।
पर फि़क्र तो यह है कि ..
जो कहीं इसने रहम दिखाया
तो इंसान की फि़तरत तो वो है..
कि इस एहसान फ़रामोश ने
खुद को खु़दा साबित करने के लिए,
कु़दरत का दस्तूर बदल दिया।
पर अब ऐसा न हो ,तो ही ठीक है ।
वरना इतिहास गवाह है कि..
‘उसकी’ एक करवट ने….
दुनिया का जुगराफ़िया बदल दिया।

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