कभी यूंही अचानक

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कभी यूंही अचानक
ख्वाबों की जादुई गुफा में जाना
वहां से बीन लाना कुछ जादुई पत्त्थर
जिनमे आंखो में चमक भर देने का
होंठों के कोनों को खींच देने का
अविलक्षण जादू हो ;
फिर तुम उसे किसी किसी दिन दिखाना
जब तुम कुछ उदास हो
या जब भूल जाओ तुम
उस ख्वाबों की जादुई दुनिया को
जब तुम्हें अपना मन खाली लगने लगे
या फिर जब विश्वास की भीड़ छंटने लगे,
तब दिखाना तुम वो जादू,
धीरे से अन्तर्मन का पिटारा खोलना
जैसे ही निराशा की पलकें झपकें
तुम कुछ मंत्र बुदबुदाना
और इन सब सपनों के ढेर पर फूंक देना
ताकि सारे सपने गुलाबी आसमान के कबूतर बन जाएं
और फिर उसी आसमान में ओझल हो जाएं
जिन्हे निहारते रहो तुम उस जादू में नजरबंद होकर
और हां…उस जादुई पत्त्थर को एक नाम देना..”उम्मीद”

:- महिमा पाण्डेय

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