मैंने देखा है
वक़्त का गुज़रना…
महसूस किया है
वक़्त बेवक़्त रिश्तों का दरकना,
मैंने देखा है
पतझड़ का आना
बहारों का जाना…
शोख रंगों का खोना,
मैंने देखा है
सूरज का ढलना
तम का आना…
सब स्याह हो जाना,
मैंने देखा है
अल-सुबह एक नए ख़्वाब का आना
ज़िन्दगी का मक़सद बयान करना…
नीद से फिर जगाना
रूबरू वक़्त से कराना,
मैंने सीखा है
बिखर के फिर उठ जाना
अश्क़ आँखों में रख…
तरन्नुम होंठो पर सजाना,
मैंने देखा है
वक़्त का….. यूूँ ही
बदल जाना
ज़िन्दगी का…. यूूँ ही
गुज़र जाना |
~ अनर्गिस ~