दुआ 599 एक अदृश्य शक्ति एक झंझावात बन्द किवाड़े अकेले में अकेला मानव हे प्रकृति बहुत हुआ बेज़ुबानों संग खिलवाड़ कर रहे दुआ कर हज़ार है तुझ पर सबका अधिकार अब न होगा अत्याचार। =>डॉ आर के सिंह, कानपुर प्राणिउद्यान, कानपुर