~ आखिरी शाम का पैगाम ~

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इस साल की है आख़िरी
ये शाम देखो ढल रही है ।
संग कितने ही किस्से समेटे
ये शाम देखो चल रही है…

देखे इसने ग़म भी कितने
ख़ुशियों के आँसू भी पोछे,
देकर दुआएँ उस नए कल की
ये शाम देखो चल रही है ।
इस साल की है आख़िरी
ये शाम देखो ढल रही है…

कुछ ने कुछ को खो दिया है
कुछ ने कुछ को पा लिया है,
लाने उम्मीदों का नया सवेरा
ये शाम देखो चल रही है ।
इस साल की है आख़िरी
ये शाम देखो ढल रही है…

कुछ पत्ते टहनी से झड़ गए
कुछ फूल बागों में खिल गए,
एक नया गुलिस्तां सजाने
ये शाम देखो चल रही है ।
साल की है आख़िरी
ये शाम देखो ढल रही है…

कुछ ने आसमां छू लिया
कुछ हैं धरा में मिल गए,
बुनने को सपनों का आशियाना
ये शाम देखो चल रही है ।
साल की है आख़िरी
ये शाम देखो ढल रही है…

खुशियाँ वो फिर से आएंगी
होंगें थोड़े गम भी संग में,
थामने उस नई सी शाम को
ये शाम देखो चल रही है ।
साल की है आख़िरी
ये शाम देखो ढल रही है…
लिए लबों पे मुस्कुराहट
जोड़ने को तार दिल के,
आने वाली शाम को सबसे मिलाने
ये शाम देखो चल रही है ।
साल की है आख़िरी
ये शाम देखो ढल रही है…

~ अनीता राय ~

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