कैसे कह दूँ…?

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लोगों में खटपट
संसद में जमघट
दुतरफी बातें
सुबकती रातें
लुटती लाज
मौन समाज
तरसता बचपन
उलझता जीवन !
तरक्की के धागे अभी बेहद कच्चे हैं
मैं कैसे कह दूँ
हालात अच्छे हैं …?

मोहिनी तिवारी

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