ए हवा!!

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ए हवा !!तू जब चलती है ना,
अपने पूरे ज़ोर पे,
सरगोशियां करती हुई मुझमें,
अपने आँचल में समेटती,
गुदगुदाती हुई मुझे,
जी मचल सा जाता है
तुझ संग उड़ जाने को..
लगता है मानो उड़ जाऊं,
बस उड़ती ही जाऊं……

देखती पेड़ पौधों को झूमते हुए,
संग होती हुई पंछियों के झुंड के,
बादलों के बीच से होती,
पानी की बूँदों से खेलती,
हंसती यूँही बेमतलब सी,
नाचती हुई तेरी ही धुनों पे,
गुनगुनाती, गाती कोई गीत,
बस उड़ती ही जाऊं…..

दूर हो जाऊं इस जहां से..
सब कुछ छोड़ के पीछे,
भूल के हर एक एहसास,
बस तुझ संग बहती ही जाऊँ
हल्की सी होती हर पल
तेरी ठंडक को उतारती,
अपने दिलोदिमाग और रूह में
बस उड़ती ही जाऊँ…..

तेरे छू लेने भर से ही
जैसे मुस्कुरा उठती हूँ मैं
खिल उठता है मेरा अंतर्मन,
वैसे ही उड़ाती हुई कुछ रंग,
इस बदरंग, बेरंग दुनिया पे,
बांटती चलूँ निश्छल सी खुशियाँ,
बिखेरती मुस्कान सभी चेहरों पे,
बस उड़ती ही जाऊँ….
और उड़ती ही जाऊँ…..
🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃

*Anita Rai, assistant teacher, UP govt., Kanpur Dehat.

2 COMMENTS

  1. बांटती चलूँ निश्छल सी खुशियाँ,
    बिखेरती मुस्कान सभी चेहरों पे,
    बस उड़ती ही जाऊँ….

    Great thought

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