*** एक बूँद ***

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दिन की गरमाहट को जब
बर्दाश्त नहीं कर पाती है,
हवा में घुल जाती वो बूँद
रातों में ठंडक पाती है,
फिर सुबह को पत्तों पे गिर
उनकी सुंदरता बढ़ाती है,
पत्तों के कोरों पे लटकी
वो बूँद ओस कहलाती है……

और दिल की गलियों से जब
वो बूँद आती – जाती है,
दिल को मीठा रखने को
ख़ुद खारी सी हो जाती है,
उसको हल्का रखने की ख़ातिर
आंखों को ठौर बनाती है,
पलकों की झालर में अटकी
वो बूँद आँसू कहलाती है……

~ अनीता राय ~

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