कोरोना विपदा 663 विपदा की , काली आँधी में, तुम आशाओं के- मुस्कानों के- दीप जलाओ, ध्यान रहे,पर बुझ ना पाएं दीपशिखाएँ । पूरे मन से, पूर्ण शक्ति से, ढाँप लो, दीपशिखाओं को- जब तक तूफ़ां थम ना जाए – जब तक आँधी थक ना जाए जीत तुम्हारी हो ना जाए । विभा पाठक