चुन-चुन कर

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चुन-चुन कर
बीन-बीन कर
फूलों की
पंखुड़ियों को
झोली में भरना होगा
बिन महकी साँसों को
महकाना होगा
चुन-चुन कर
बीन-बीन कर
हर बाट से
एक एक कांटा हटाना होगा
है ऊबड़-खाबड़ डगर पर समतल करना होगा
चुन-चुन कर
बीन-बीन कर
एक एक दाना इकठ्ठा करना होगा
है जो भूखे उदर उन उदरों को भरना होगा
चुन-चुन कर
बीन-बीन कर
शाख से गिरे पत्तों को बटोरना होगा
है घिरी पतझड़ बयार पर
नव वसंत ऋतु लाना होगा
चुन-चुन कर
बीन-बीन कर
एक एक अश्रु पोछना होगा
है थकित क्लांत मुख
उन मुखों पर मुस्कान लाना होगा
चुन-चुन कर
बीन-बीन कर
एक एक निरीह जर्जर तन उठाना होगा
हैं कंपकपाते हाथ जो
उन हाथों को संबल देना होगा
चुन-चुन कर
बीन-बीन कर
एक एक सपना सँजोना होगा है
हैं जो सपनों के महल
उन महलों को सतरंगी रंगों से सजाना होगा

——-विभा पाठक——

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