
टूटे ख्वाबों से ढूंढती हूँ….
तसव्वुर के वो टुकड़े…….
कि वो बस ख्याल ही अच्छे थे…
जब तक सच्चे न थे… !
तसव्वुर था…कि जैसे…
किसी ने एडिट कर दिया हो….
तस्वीर के बैकग्राउंड से….
कूड़े के ढेर….सड़ांध भरे नाले….
और बदरंग दीवार को….
और लगा दिया हो ..
खूबसूरत फूलों भरी वादी का वाल पेपर….
क्यों …है ना ख़्वाब अच्छा ….!
सच क्योंकर होने दें….
- सीमा