हसरत

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हसरत ए शौक मेरे ..
दिल ए तबाह से जाता नहीं ,
क्या करूँ ऐ जिंदगी..
मुझको जीना आता नहीं ।
उसके बिन जो साँस ली ,
उस गुनाह की माफ़ी क्या ,
तू ही बता ए जिंदगी ,
साँसों से जो जाता नहीं।
तेरी हसरत ,तेरे जलवे ,
अब तकाजा क्या करूँ,
मैं तेरी कोई नहीं मालूम है,
पर क्या करूँ ।
मोड़ती आई हूँ,
मैं मुँह उस हकीकत से सदा,
जो दगा़ देती है,
मेरे ख़्वाबों को हर दफ़ा ।
चल मेरे गुस्ताख़ दिल ,
अब कुछ तसव्वुर और गढू़ँ
तेरे तगा़फु़ल के वास्ते,
खुद से कुछ बहाना करूँ।

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