तुम्हारी यादों को गले लगा के
आज सोचा तुमपर एक किताब लिखूं…
उसके पहले पन्ने पर ही
उन सारे पलों के हिसाब लिखूं |
तुम्हें अपने माथे की बिंदिया
या दिल का अपने सरताज़ लिखूं …
दिल को तुम्हारे रौशन कर दे
खुद को, वो जलता चराग़ लिखूं |
मुस्कानों की फुलझड़ियां
या खुशियों के महताब लिखूं …
कोई रंग बिरंगी रंगोली
या जीवन के रंग-ओ-आब लिखूं |
जोड़ूँ कुछ टूटे टुकडों को
या पूरे हुए से ख़्वाब लिखूं …
जीवन के कई सवालों का
मैं बस उनको ही जवाब लिखूं |
मेरे सत्कर्मों का फल हो तुम
या मुझे मिला कोई ख़िताब लिखूं …
मैं, तुम्हें नशे की इक गोली
या मीठी सी कोई शराब लिखूं |
दिलोदिमाग़ में छाया है जो
तुम्हें, एहसासों का सैलाब लिखूं …
मेरी रूह जिससे महक गई है
तुम्हें सुंदर सा वो गुलाब लिखूं |
मन में बसा कर के तुमको
आज तुमपर ही कोई क़िताब लिखूं…
जो देख रही हूँ मैं तुम संग
इन नैनों के वो ख़्वाब लिखूं |
अनीता राय
Teacher
BASIC EDUCATION DEPARTMENT
U.P.