बारिश की बूँदें …

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काश! एक बारिश ऐसी भी हो

हर धूल झड़ जाए जमने के पहले,
हर आग बुझ जाए जलने के पहले।

करें कुछ कमाल ऐसा, ये बारिश की बूंदे
हर ज़ख्म काफ़ूर हो, खुरचने से पहले,
हर आँसू छिप जाए, ढलने से पहले।

करे कुछ करामात अबके बारिश ये ऐसी
हर कली खुल के जी ले चटकने से पहले,
हर भँवरा गुनगुना ले, शाम ढलने के पहले।

बरसे अबके सावन अजी इस तरह से
हर मोर नाचे, पंख झड़ने से पहले,
हर जोड़ा मगन हो, बिछड़ने से पहले।

करे नम ये बूंदें , इस ज़मी को आज ऐसे
हर बीज अंगड़ाई ले, पौध बनने के पहले,
हर फसल लहलहाए, खेतों में, कटने से पहले।

भीगा दे ये बूंदें कुछ दिलों को भी ऐसे,
दिख जाएं ग़म दिलों के, परतें चढ़ने से पहले,
दर्द भाँप ले मुस्कुराहटों के, बढ़ने से पहले।

पड़े बूंदे थोड़ी ,मन के कोनों में ऐसे
हर शख़्स ख़ुश हो, रोने से पहले,
जीवन ही जीवन हो, मरने से पहले।

~ अनीता राय

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