सुन्दरी की कृतज्ञता-शेरनी के निष्छल प्रेम की सत्य कथा

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आज से दो वर्ष पूर्व सुन्दरी एक अनाथ शावक थी।पैदा होने के साथ उसकी माँ द्वारा उसे त्यागने के पश्चात उसका लालन पालन मैंने किया। युवा होते ही उसको प्राणी उद्यान के बाड़े में छोड़ दिया गया। वहां वो अपने छोटे भाई शंकर व बहन उमा के साथ रहती है और नित्य प्रति दर्शकों को मोहित करती है
दो वर्ष की सुन्दरी अब परिपक्व शेरनी है। वो एक पल में ही अपने किसी विरोधी को मौत की नीन्द सुला सकती है। इसी लिए उसे लोहे की मजबूत जाली से घिरे सुंदर व आरामदायक बाड़े में रखा गया है। ये जाली उसके और मेरे बीच एक दीवार है और हम अब वैसे उन्मुक्त भाव से एक दूसरे से नहीं मिल सकते जैसे आज से डेढ़ वर्ष पहले मिलते थे और मैं उसे गोद में लेकर बोतल से दूध पिलाया करता था।
लेकिन इस दीवार के बाद भी न मेरे दिल में उसके प्रति स्नेह में कोई कमी हुई है और न ही वो अपने बचपन की यादें भुला पाई है। आज भी वो मेरे पदचापों को पहचानती है। मेरी आवाज को पहचानती है। जब भी मैं उसके बाड़े के पास निरीक्षण के लिए पहुचता हूँ वो मेरी पदचापों और आवाज को सुनकर चौकन्नी हो जाती है। बाड़े के बाहर जिस जगह खड़ा होकर उसे देखता हूं वो दौड़ कर वहां आ जाती है।एकटक मुझे देखती रहती है। मानों कह रही हो “अब क्या मुझसे डरते हो ? मुझे दुलराते क्यों नहीं हो ” ?
मैं उसकी निश्छल भावनाओं को उसकी अपलक आखों में झांकता हूँ। कुछ पल वहां रुकने के बाद मैं दूसरे बाड़ों की ओर बढ़ जाता हूं। लेकिन वो बाड़े पर दो पैर रख कर खड़े खड़े मुझे तब तक देखती है जब तक मैं उसके आखों से ओझल नही हो जाता। मेरे जाने के बाद वो पुनः अपने बाड़े में रम जाती है। ऐसा प्रतिदिन होता है।
मैं भला उसे ये कैसे ये समझाऊँ कि अब उसके और मेरे दरमियान प्रकृति के नियम आते है।फलस्वरूप मैं उससे उस उन्मुक्त भाव से नही मिल सकता।
सुन्दरी के हावभाव देखकर बरबस उस शेर और गुलाम एंड्रॉकलेज की प्रेम गाथा जीवित होती है, जो एक जंगल में शुरू हुई और भविष्य में एक मोड़ पर आकर प्रेम सद्द्भाव व समर्पण की ज्योति जलाकर सदा सदा के लिए समस्त विश्व को एक संदेश दे गई, कि खूंखार जंगली पशुओं में भी कोमल हृदय बसता है। वो एहसान की कीमत जानते हैं। मौका आने पर एहसान को चुकाने में नही चूकते।
कहानी के अनुसार रोम के शासक के अत्याचारों से छुटकारा पाने के लिए एंड्रॉकलेज  राज्य से भाग निकला। वो अभी एक जंगल में पहुँचा तो उसका खून सूख गया । वहां शेर की दहाड़ सुनकर उसने जीवन की आशा छोड़ दी। चलते चलते जब वो शेर के पास पहुँचा तो उसने देखा कि शेर के पंजे में कांटा लगा था। और वो पीड़ा से कराह रहा था। एंड्रॉकलेज ने बिना कुछ सोचे शेर के पंजे से काटा निकाल दिया और चला गया। कुछ दिन बाद जब वो पकड़ा गया तो वहां के शासक ने वहां की सजा के अनुसार उसको मौत की सजा दी, और भारी जनसमूह के बीच उसको एक भूखे शेर के पिंजरे में डाल दिया गया । भूखे शेर की दहाड़ सुनकर उसको रूह कांप गयी। किंतु दहाड़ता हुआ शेर जैसे ही उसके पास आया ,वो दुम हिलाते उसके पैरों  लोटने लगा। एंड्रॉकलेज ने भी उसको गले लगा लिया।
राजा ने दोनों की प्रेम गाथा सुनकर दोनों को मुक्त कर प्रेम और कृतज्ञता के परचम का वंदन किया। सुन्दरी की आखों में भी इसी कृतज्ञता का परचम लहराता है और शायद जीवन पर्यन्त लहराता रहेगा।उसके लिए मेरा स्नेह भी नित नई परिकाष्ठा को प्राप्त करता रहेगा।
=> डॉ. आर. के. सिंह, वरिष्ठ वन्य जीव विशेषज्ञ 

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