कमजोर व्यक्ति

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संसार में कमजोर व्यक्ति वह होते हैं जो भूत के विचारों में गोता लगाते रहते हैं। उनकी आँखें विशाल भविष्य के आकाश में ना झाँककर गर्दीले भूताकाश में विचरते रहते हैं। स्वयं को कोसते रहते हैं। आगे बढ़ने से कतराते हैं। अपनी असफलताओं का ठीकरा दूसरों के सिर पर फोड़ते रहते हैं।

उतार चढ़ाव किसके जीवन में नहीं आते। कौन ऐसा व्यक्ति है जो जीवन यात्रा के दौरान कोई भूल चूक ना करे। उसकी महत्वाकांक्षी योजनाएँ धराशायी ना हो जायँ। उसके व्यवसाय में घाटा न हो जाए। लेकिन इन समस्त विपरीत परिस्थितियों में एक कमजोर व्यक्ति अपनी असफलताओं का पुलिंदा बाँधकर जीवन भर रोता रहता है। पर-सहानुभूति से अपनी अकर्मण्यता को छिपाता रहता है। कुछ करने से कतराता रहता है। अपने किए पर पछताता रहता है।

इसके विपरीत एक बली व्यक्ति हँसता है। मुस्कुराता है। आगे बढ़ने का हौसला इकट्ठा करता है। आगे बढ़ जाता है। वह ‘बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेय’ वाली युक्ति को अपने जीवन का मूल मंत्र बना लेता है। वह अपनी असफलताओं से सबक लेता है। असफलताओं का रोना नहीं रोता।
कमजोर व्यक्ति केवल और केवल अपनी असफलताओं का रोना रोता है। उनसे कोई सबक नहीं लेता। यही कारण है कि वह जीवन की दौड़ में पीछे रह जाता है। उसका नकारात्मक सोच आगे नहीं बढ़ने देता।

बली व्यक्ति के सोच में अंतर होता है। असफलताओं के बाद भी आशावान रहता है कि आगे कुछ अच्छा होने वाला है। आगे और अच्छा होगा। अपने इसी आशावादी विचारों और सकारात्मक सोच के कारण वह असफलताओं के सागर तक पार कर जाता है। जबकि एक कमजोर व्यक्ति असफलता के सागर में डूब जाता है। अपने अस्तित्व को गँवा देता है।
कहावत है ”मन के हारे हार है मन के जीते जीत।” यह सत्य भी है जो लोग मन से हार जाते हैं वह भौतिक और आध्यात्मिक संसार में अपना स्थान नहीं बना पाते जो मन से नहीं हारते वह अपने लक्ष्य तक पहुँच जाते हैं। सफलता उनके चरण चूमती है। “जिन खोजा तीन पाइयाँ गहरे पानी पैठ” वाली कहावत उन पर अक्षरशः सही सिद्ध होती है।

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