हिन्दी की विदुषी महिला डा0 सुजाता वर्मा का जन्म कानपुर महानगर के लाजपत नगर मोहल्ले में एक प्रतिष्ठित पंजाबी तथा एक प्रमुख व्यवसायी परिवार में 22 सितम्बर 1960 का को हुआ। आपके पिता स्वर्गीय श्री मंगतराम सचदेवा एक सफल व्यवसायी थे , तथा आपकी माता श्रीमती कृष्णावन्ती सचदेवा एक कुशल व प्रतिभा सम्पन्न गृहणी थीं जिनका प्रभाव बाल्यावस्था से ही डा0 सुजाता पर पड़ा।
छः भाई बहनों स्वर्गीय श्री श्याम सुन्दर सचदेव, श्री कृष्ण मोहन सचदेव, श्री कीर्ति रमन सचदेव, श्रीमती गीता कुमार तथा श्रीमती सुनीता टुटेजा में सबसे छोटी होने के कारण वह अपने पिता की बहुत दुलारी थी। वह बाल्यावस्था से ही सिलाई-बुनाई-कढ़ाई व चित्रकारी में निपुण होने के साथ गद्य एवं पद्य लेखन में भी अभिरुचि रखती थीं।
पूर्णा देवी खन्ना इन्टर कालेज से इन्टरमीडिएट परीक्षा प्राप्त करने के पश्चात् उन्होंने तत्कालीन कानपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध आचार्य नरेन्द्र देव महिला महाविद्यालय से स्नातक तथा हिन्दी विषय में परास्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके पश्चात् इसी महाविद्यालय की वरिष्ठ शिक्षिका डा0 सुधा पाण्डे के निर्देशन में श्री छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (तत्कालीन कानपुर विश्वविद्यालय) से ” हिन्दी के आधुनिक हास्य साहित्य में रमई काका का योगदान ” नामक विषय पर शोध कार्य पूरा करके श्री छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (तत्कालीन कानपुर विश्वविद्यालय) से वर्ष 1987 में पी0एच0डी0 की उपाधि प्राप्त की। वह 1985 वर्ष में एस0एन0 सेन बालिका महाविद्यालय में हिन्दी विभाग में प्राध्यापिका पद पर नियुक्त हुईं तथा अपनी अकाल मृत्यु 21 अक्टूबर, 2016 तक हिन्दी विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहीं।
डा0 सुजाता वर्मा अपनी सकारात्मक सोच, रचनात्मकता मूल्य-प्रतिबद्धता तथा रोचकीय लेखन के प्रति सदा समर्पित रहीं। अपने उत्कृष्ट लेखन व उत्तम शिक्षक के लिये वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल श्री मोतीलाल वोहरा ने उन्हें सम्मानित किया।
अभिनय के क्षेत्र में भी वह अद्धितीय विलक्षण प्रतिभा की धनी थी। अखिल भारतीय हिन्दी विकास परिषद द्वारा आयोजित ‘युग पुरुष राम’ नाटक मंचन में श्रेष्ठ कलाकार के रूप में प्रमुख लेखिका स्वर्गीय ‘शिवानी’ ने उन्हें सम्मानित किया। लेखन तथा समारोह आयोजनों के क्षेत्र में उन्होंने स्तरीय एवं सर्वथा नए मानदण्ड स्थापित किए। उन्होंने पत्रकारिता तथा दलित विमर्श जैसे गंभीर विषयों पर ही पुस्तक रचना नहीं की अपितु विचार पूर्ण मौलिक लघु निबन्धों की अनूठी शैली से अपने पाठकों को स्तब्ध कर दिया। उनके लघु निबन्ध उनकी पुस्तक ‘एक कबीर और’ में संग्रहीत हैं। ‘‘नई सदी और दलित’’ तथा ‘‘पत्रकारिता और न्यू मीडिया’’ उनकी चर्चित पुस्तकें हैं।
पूर्व में उनकी ‘‘पत्रकारिता और प्रशिक्षण’’ तथा ‘जनसम्पर्क, जन संचार और विज्ञापन’ भी बहुत चर्चित पुस्तकें रही। मृत्यु से कुछ माह पूर्व “जनसम्पर्क, संचार और विज्ञापन” पर लिखी उनकी पुस्तक का प्रकाशन हो चुका है।
कविता तथा कहानी लेखन में भी उनकी अभिरुचित थी। उनकी कविताओं में श्रंगार प्रकृति प्रेम तथा विद्रोह की झलक मिलती है। उनकी अस्वस्थता उनके लेखन प्रेम को समाप्त तो नहीं कर सकी किन्तु उसकी गति को अवश्य प्रभावित कर दिया। उनकी कविताओं एवं उनकी कुछ लम्बी कहानियों का प्रकाशन प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त विभिन्न विषयों पर लिखे उनके लेख अनेक विशिष्ट संपादित पुस्तकों जैसे ‘‘बींसवी सदी के महानायक: बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर’’ ‘‘जगदीश गुप्त का काव्य मनन और मूल्यांकन’’, ‘‘समकालीन हिन्दी कहानी और 21वीं सदी की चुनौतियाँ’’, ‘‘वैश्विक धरातल पर आतंकवाद: मानवता के समक्ष गंभीर खतरा’’,‘‘राजेन्द्र यादव समानान्तर दुनियाँ का सूत्राधार’’ तथा ‘‘भारत की उच्च शिक्षा: चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ’’, में संकलित है। इसके अतिरिक्त ‘‘शोध-दृष्टि’’ नामक स्तरीय शोध पत्रिका में उनके लेख का संकलन है।
वर्ष 2009 में डा0 वर्मा को अपने लेख ‘‘साहित्य की अनिवार्य भूमिका’’ को ‘‘आर्य स्मृति साहित्य सम्मान’’ से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया। उनका यह लेख हिन्दी के वरिष्ठ पत्रकार श्री राजकिशोर द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘‘मीडिया और हिन्दी साहित्य’’ में संकलित किया गया।
स्वतन्त्र पत्रकार के रूप में उनकी रचनाएँ ‘दैनिक जागरण’ तथा ‘कादम्बनी ’ में विशिष्ट स्तम्भों में प्रकाशित होती रही है। कविता लेखन उनकी स्वयं अभिव्यक्ति का प्रबल माध्यम था। सामायिक विषयों पर व तुरन्त पद्य रचना करना उनकी विशेषता थी। उनकी कविताओं में प्रेम, वात्सल्य, विद्रोह एवं प्रकृति वर्णन की अप्रितम छटा है। उनकी काव्य रचनाओं का संकलन “दरीचे मन के” का प्रकाशन उनकी मृत्यु के पश्चात वर्ष २०१८ में हुआ है।
Beautiful….. words will fall short n still feelings n respect for her can’t be expressed. Massi was a perfectionist both in professional n personal life. She had n will always have a special place in my heart.
A very beautiful introduction to Sujata Aunty……i did not know many things about her, mentioned in this article, though i know her for a long time…..she has given me guidance in career….showed me the right way….i owe hér many thanks…..she is a beautiful, intelligent, knowledgeable n talented woman…..a unique combination of beauty, brains n art …..a true inspiration for all women
She is simply a wonderful lady with a good heart touching nature. May God give a peace to her soul.??
Heart touching story. True Ambassador of Hindi literature. Blessed to know her. May God rest her soul in peace.
Heart touching story. True Ambassador of Hindi literature. Blessed to know her. RIP
Very nice heart touching story…she is the incredible..true inspiration for all women who want to do somthing in there life…. शत् शत् नमन….