जख्मी दिल है मेरा
यूं न ओर ज़ख्म बढ़ाओं जी
इस दुनिया से रुठकर गये हो आप
फिर यूं सपनों में आकर
न पुरानी बातों को याद दिलाओ जी
यूं न मुझे रुलाओ जी
ज़ख्मी दिल है मेरा
ज़ख्म में मर्म लगाओ जी
सपनों में आकर
मुझे रोज़ ताने सुनाओ जी
जिससे मेरे ज़ख्म ओर न बढ़े
ऐसा कुछ कर जाओ जी
ज़ख्मी दिल है मेरा।
रोज़ आपकी यादों में
मेरी आंखों हुई है लाल
प्यार भरी उन बातों की
यादों से मेरे गाल हुए है लाल
कुछ ऐसा कर जाओ जी
जिससे मेरे ज़ख्म भर जाए
ज़ख्मी दिल है मेरा
यूं न ओर ज़ख्म बढ़ाओं जी।
- मंजू नायर (केरल)