उठो वीर सैनिक भारत के, माता तुम्हें पुकार रही
शत्रु धूर्त है, खड़ा द्वार पर, मानवता ललकार रही
तोड़ आज जंजीरे सारी, प्रहरी बन तुम खड़े रहो
मृत्यु तुम्हें क्या मारेगी? कर्तव्य मार्ग पर अड़े रहो
देखो, पड़े न दृष्टि शत्रु की, मां के धानी आंचल पर
तुम रक्षक हो सीमा के, न तुम सा कोई धरातल पर
बांध कफन शीश पर वीरों, पहनो केसरिया बाना
क्या होता है देश प्रेम, फिर देखे आज जमाना
बलिदान तुम्हारा अमर सदा, है अमर यही कहानी
धन्य धन्य हे भारत मांँ, है धन्य वीर जवानी।।
मोहिनी तिवारी