सावधानी 502 सावधानी किससे ? दोस्त या दुश्मन से ? दोस्ती – स्वार्थ से भरी मानो विष की बेल ! और दुश्मनी – मरने-मारने का खेल यूं तो नजर दुश्मन पर खुद ही रहती है बनी पर , हमें बचना है उनसे जो दोस्ती की आड़ में निभाते हैं दुश्मनी । मोहिनी तिवारी