संघर्ष

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संघर्ष है ये ,औ,जीवन है .
मैंने ,है जाना दोनों ही को ,
जब ‘संघ’ है तब’ घर्ष’ है…
जब हैं पृथक, एकाकी, एकांत ,
तब है चाह संघ की ..
कुछ – कुछ घर्ष की,
घर्ष की ये स्फुलिंग …
है मानक स्पन्दन का ,
स्पंदन है, तो जीवन है ..
जीवन है…. तो ‘संघ’ है… , ‘घर्ष है ‘
संघर्ष .है …..।

  • सीमा

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