मुकम्मल होने की उम्र में नादां हो रहे थे तुम,
जाने क्यों मुर्दों के वास्ते बेजां हो रहे थे तुम ।
मुमकिन होने से पहले मुझसे बिछड़ भी जाओ,
मिलने से पहले मेरे लिए खुदा हो रहे थे तुम ।
कितनी दफा हुई रहमत तेरे ख्यालों से,
कलम से इबादत की तरह अदा हो रहे थे तुम ।
~ मौसम ~