[avatar user=”mousam rajput” size=”custom” align=”center”]Mousam Rajput[/avatar]
1
तुम्हारे मापदंडों से
मैं अपना परिचय तो बनाता लेकिन
तुम्हारे मौन में
विद्रोह से अधिक घृणा के पुंज थे,
वह अंतर दो विभिन्न जाति के मनुष्यो का नहीं
अंतर कि
तुम्हारे स्वप्न को विश्वास था
कि तुम्हारे डाइनिंग टेबल पर रखे पदार्थ का
न स्वाद बदलेगा न मात्रा
और मेरी नींद को भय था
किसी रात फसल के कुचले जाने का,
मिट्टी से छबि दीवार के ढह जाने का ,
खदान में पांवों के नीचे मिट्टी के धंस जाने का,
और भूख के संक्रमण के गंभीर हो जाने का
इसी अंतर की अग्नि में झुलसकर कहता हूं
कि
मुझे मेरा सच
तुम्हारे सौंदर्य से अधिक प्रिय है,
तिनके सी ही सही, उपलब्धि है कि
मेरा यथार्थ
तुम्हारे स्वप्न से अधिक विद्रोही है ।
मेरे बस्ते में चांद को कॉपी बनाने की
उत्कंठा
और खेत की सुनी मेढ़ को
स्वर्ग बनाने की जिज्ञासा है
2
हमारे बीच
रिक्तता है
अलगाव है
हम
दो दुश्मन देश की तरह
युद्ध की आशंका और
आतंरिक अशांति से जूझ रहे हैं
यह समय अघोषित आपातकाल का है
अब मुझे तुमसे, तुम्हारा
विद्रोह चाहिए
नितांत निस्वार्थता की शर्त पर,
मौसम…