मोहब्बत…

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मोहब्बत, किसी सरोवर के जल में छुपी मचलती तरंग
तोड़कर अपने तट की सीमाएँ
रूप ले लेती है भयंकर झंझावात का
जब समाज की कुरीतियाँ रात के आगोश में
छलनी कर देती हैं सुबकते हृदय को
जातिवाद के घिनौने जाल में जकड़ कर….।

  • मोहिनी तिवारी

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