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आदर्श – यथार्थ और-
कथनी- करनी के
बढ़ते द्वंद में-
जूझते युवा-
प्रौढ़ और-
नासमझ-
आक्रोश और भ्रम में-
मर्यादा रेखा तोड़ कहीं-
विद्रोही,
विघटक,
विध्वंसक
न हो जाए-
यक्ष प्रश्न है।
मोहिनी तिवारी