ये कैसी बराबरी… !

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हाँ… ! होती है बिटिया नाजुक,
सजना और संवरना…; हाँ, होती उनकी आदत।।।
सजाती है, सवारती है, तभी तो किसी को भी अपना बना जाती है
अरे यही तो उनकी खासियत है…. इसे यूँ न मिटाओ,
ये बेटा है हमारा कहकर, उन्हें टॉम बॉय न बनाओ ।
बिटिया को बिटिया रहने दो, बेटे को बेटा रहने दो,
एक चंदा है और एक सूरज, बराबरी की होड़ में उन्हें यूँ तो न टकराओ ।
सूरज का अपना तेज है और चन्दा की शीतलता अपनी,
बेटा है सूरज सा, तो बेटी है चन्दा सी ।
दोनों के अस्तित्व हैं अपने… हैं अपनी पहचान,
हैं नहीं भुलाए जा सकते दोनों के ही अपने अपने त्याग और अपने बलिदान….।

~ प्राची द्विवेदी ~

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