प्रेम ऐसा हो 504 प्रेम ऐसा हो – जैसे हवा का झोंका – होता है पर, दिखता नहीं – छूकर हृदय के तार फ़िजा में महकता पर, मुठ्ठी के शिकंजे में – टिकता नहीं हजारों जतन सब खा़क हो जाते पर, दिखावे की दुनिया में – बिकता नहीं । मोहिनी तिवारी