[avatar user=”mousam rajput” size=”98″ align=”center”]Mousam Rajput[/avatar]
हृदय,
एक फुटपाथ है
कुचलते जा रहे हैं
मेरे अपने आमंत्रित,
कि जिनका आना एक स्वप्न था
यह एक लाल चिन्ह की तरंग,
रिसते हैं जिससे साँस के विक्षिप्त कण
तुम्हारे पांव के गिरे चमकते धूल कण
मेरी पूंजी है,
तुम्हारी फेंकी टिकट में अंकित
यात्रा से अधिक प्रतीक्षा की कीमत
मेरी उपलब्धि,
एक निरीह, स्वयं से उबे हुए फुटपाथ की उपलब्धि
मेरी जात की तरह तुम्हारी आत्मा मजदूर है
तभी तुम आओगी इस ठौर पर एक दिन
विश्वास?
हां, भीड़ के बोझ में दबा कराहता विश्वास
विश्वास, कि जिसके लिए ‘प्यार’
चिता से उठते धुएं से बने बादलों का गुच्छ है.