सच्चाई बड़ी ही कड़क है ,
मानो -नीम चढ़ा-
और
झूठ बड़ा ही मीठा
फ़रेब की चाशनी से भरा
अब तय हमे ,
ख़ुद को करना है-
हमें नीम ……
चाहिए,
या-
शहद…….।
—– विभा पाठक
सच्चाई बड़ी ही कड़क है ,
मानो -नीम चढ़ा-
और
झूठ बड़ा ही मीठा
फ़रेब की चाशनी से भरा
अब तय हमे ,
ख़ुद को करना है-
हमें नीम ……
चाहिए,
या-
शहद…….।
—– विभा पाठक