जीवन में विंग के साथ जो भी कुछ प्राप्त होता है उसी का नाम है अनुभव। अनुभव का निर्माण पुस्तकें पढ़कर नहीं किया जा सकता है। इसको तो भोगना पड़ता है। जो इसे भोगते नहीं वह इसे नहीं पाते। कहते हैं कि शेरनी का शिकार बाज को क्या मालूम है? तात्पर्य यह की जिसका अनुभव नहीं किया वह उसके विषय में नहीं जान सकता है। स्वतंत्र पक्षी पिंजड़े में बंद पक्षी की व्यथा नहीं जान सकती थी।
लेकिन जीवन में अनुभवों का बड़ा महत्व है। यह वह मेहराब है जिस पर जीवन की बहुमंजली सुघड़ इमारत को गढ़ा जा सकता है। अनुभव के आभाव में जीवन रूपी भवन खण्डित हो जाता है। उसके विभिन्न खंडों को जोड़ पाना दोषकर हो जाता है।
जीवन की बहुमंजिली ईमारत का दूसरा नाम सम्बन्धों और सफलताओं की श्रृंखला है। चाहे बात संबंधी स्थितियों की हो या फिर सफलता प्राप्त करने की। दोनों में अनुभव का योगदान बहुत बड़ा होता है।
अनुभव का निर्माण छोटी से बड़ी गलतियों के फलस्वरूप होता है। गलतियां व्यक्ति को बहुत कुछ सिखाती हैं। जो उनसे कुछ सिख कर जीवन को दिशा देते हैं वह अनुभवी कहलाते हैं। इनके द्वारा संबंधों और सफलताओं की श्रृंखला को बल मिलता है। उनकी नींव मजबूत होती है। व्यक्ति का जीवन सार्थक सिद्ध होता है।
वे लोग जो अपनी गलतियों से सबक नहीं लेते वह अनुभवहीन रह जाते हैं। वह जीवन की दौड़ में अक्सर पिछड़ भी जाते हैं। समय भाग जाता है। दुनिया आगे बढ़ जाती है। वह एक ही जगह खड़े रह जाते हैं। कहीं से उनका अन्तर्मन कविवर
गोपाल दास नीरज की इन पंक्तियों को दोहरा उठता है-
“कारवाँ गुज़र गया और हम खड़े-खड़े गुबार देखते रहे।”
लेकिन जब तक वह यह गुनगुनाने की स्थिति में पहुँचते हैं तब तक उनकी महत्वकांछाओं की शाम उन्हें घेरने को आतुर हो उठती है। वह जीवन के धुंधलके में विलीन हो जाते हैं।
अनुभव क्या है? अनुभव मात्र घटनाओं के घटने से नहीं मिलता। अनुभव तो वह है जो घटित घटनाओं से सीखा गया है। उस सीख का क्या किया? उसे जीवन में स्वीकार किया या उसे अस्वीकार किया। घटना के प्रभाव व्यक्ति और व्यक्ति-समाज को नई दिशा देते हैं। नए विचार देते हैं। नए आयाम देतें हैं, जिनके द्वारा अनुभव निर्माण होता है। वस्तुतः अनुभव विचारों की संतान होते हैं और विचार कर्मों की
संतान। प्रत्येक किये गए कार्य के बाद कुछ नए विचारों को जन्म मिलता है। इन नए विचारों से नयी सीख या नए अनुभव मिलते हैं।
कर्म और विचार की इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को यदि समझ लिया तो जीवन द्वार पर प्रतिपल नए अनुभव दस्तक देते मिल जायेंगे। उनको अनदेखा न करके यदि अपनाया जाए तो सफलता के द्वार स्वतः खुलते जायेंगे। सफलता के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक कार्य को अनुभव की कसौटी पर कसा जाये ताकि जो दोष हो वह निकल जाए।
अनुभव स्वतः भी प्राप्त किये जा सकते हैं। उन्हें दूसरों से उधार भी लिया जा सकता है। दूसरों के अनुभव से सबक लेना आसान होता है। समय भी बचता है। चार्ल्स काल्टन इसी प्रक्रिया के समर्थक हैं उनके अनुसार अनुभव को खरीदने की तुलना में उसे दूसरों से मांग लेना अधिक अच्छा है। लेकिन हैजलिट को यह कतई मंजूर नहीं। वह कहते हैं कि संसार में सम्भव सभी अनुमानों और वर्णनों से किसी सड़क के प्राप्त होने वाले ज्ञान की तुलना में उस पर यात्रा करने से उस सड़क का अधिक ज्ञान प्राप्त होगा।तजूर्बे या अनुभव के स्वाभाव के बारे में अकबर इलाहाबादी कहते हैं कि-
कह दिया मैंने हुआ तजर्बा मुझको तो यही
तजूर्बा हो नहीं चुकता है, की मर जाते हैं।