जिंदादिल दोस्तों के ज़ाम को समर्पित सनम इलाहाबादी के सात ज़ाम

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R.K. Singh

1. शब ए हिज़्र है, खुदा बस आज पी लेने दे।
कल क्या जाने जगह मिलेगी जन्नत में या मयस्सर होगा दोज़ख।।

2. बदनाम हो गई शराब ख्वामख्वाह चंद महफिलों में।
वरना है कोई जो दिखा दे जन्नत भी दोज़ख में

3. पैमाना भी न कर सका इमदाद हमारी ।
जो लेके पहुंचे दिल ए नाशाद हम मैखाने में।।

4. बेवफाई ने उनकी सनम मयखाने पहुंचा दिया,
वरना हम भी बात करते थे होशोहवास में।

5. आओ मुस्कुरा लें दोस्तों,
ज़िन्दगी के नगमे गया लें दोस्तों।
न जाने कब ज़िन्दगी की शाम हो जाये,
क्यों न जाम उठा लें दोस्तों।।

6. हमने जाम क्या छलकाया दरिया में,
लोग कहते हैं समंदर में तूफान सा आया है।
बस एक पत्थर उछाला था आसमां की ओर,
सुना है आफताब जमीं पे उतर आया है।।

7. रोज सोचता हूँ आज से बंद,
कमबख्त दोस्त शाम ढलते ही कसम तुड़वा देते हैं।

सभी जिंदादिल मित्रों को समर्पित सात ज़ाम !
-सनम इलाहाबादी

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